पूर्वोत्तर रेलवे मण्डल इज्जतनगर की वर्ष-2025 की प्रथम तिमाही की समीक्षा बैठक एवं हिन्दी संगोष्ठी का आयोजन

बरेली, कनिष्क न्यूज : राजभाषा विभाग, पूर्वोत्तर रेलवे, इज्जतनगर के तत्वावधान में मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय के सभाकक्ष में मण्डल राजभाषा कार्यान्वयन समिति, इज्जतनगर की वर्ष-2025 की प्रथम तिमाही की समीक्षा बैठक एवं हिन्दी संगोष्ठी का आयोजन मंडल रेल प्रबंधक सुश्री वीणा सिन्हा की अध्यक्षता में किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता, श्री सुरेश बाबू मिश्र, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, राजकीय इण्टर कॉलेज, बरेली ने ‘हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन का योगदान’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि राहुल सांकृत्यायन हिन्दी साहित्य जगत के एक जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं और उनका यश रूपी प्रकाश कभी धुंधला नहीं होगा। अपनी साहित्य यात्रा के दौरान उन्होंने 130 पुस्तकों की रचना की। इनमें कहानी ,उपन्यास, निबंध, यात्रा वृतान्त आदि शामिल हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कृति ’वोल्गा से गंगा’ है। यह कहानी संग्रह है और इसमें उनकी बीस कहानियां शामिल हैं। यह पूरे विश्व में विख्यात हुई। उनकी कृतियां हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं ।

राहुल सांकृत्यायन पर बौद्ध धर्म, सनातन संस्कृति और माक्र्सवाद का गहरा प्रभाव था। उन्होंने चीन, जापान, फ्रांस, तिब्बत, श्रीलंका, रूस सहित विश्व के अनेक देशों का भ्रमण किया। इसलिए उन्हें घुमक्कड़ साहित्यकार कहा जाता है। उनका व्यक्तिव बहुत विलक्षण था। उन्हें हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, पाली, कन्नड़, अरबी, फारसी सहित 37 भाषाओं का ज्ञान था। राहुल सांकृत्यायन का वास्तविक नाम केदारनाथ पांडे था। इनका जन्म 9 अप्रैल, 1893 को आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में हुआ। ये भारतीय लेखक, निबन्धकार, नाटककार, इतिहासकार और बौद्ध धर्म के विद्वान थे। इन्होंने हिन्दी और भोजपुरी में लिखा। ’हिन्दी यात्रा साहित्य के जनक’ के रूप में जाने जाने वाले, सांकृत्यायन ने हिन्दी यात्रा वृत्तांत को साहित्यिक रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारत के सबसे व्यापक रूप से यात्रा करने वाले विद्वानों में से एक थे। वे हमेशा हिन्दी में लिखते थे। उनके जीवनकाल से ही उनके नाम के आगे सम्मानजनक शब्द महापण्डित (हिन्दी में ’महान विद्वान’) लगाया जाता रहा है। भारत सरकार ने उन्हें 1963 में देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया। उसी वर्ष 70 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु 14 अप्रैल, 1963 हो गई।

मंडल रेल प्रबन्धक सुश्री वीणा सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि इस मंडल पर हिन्दी प्रयोग का अच्छा वातावरण है। अधिकांश पत्राचार हिन्दी में हो रहा है तथा टिप्पणियाँ भी हिन्दी में लिखी जा रही हैं। हिन्दी हमारी राजभाषा है। यह एक सरल और सशक्त भाषा है। मीडिया और इण्टरनेट के दौर में इसका प्रयोग-प्रसार लगातार बढ़ रहा है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अच्छी हिन्दी सीखें और अपने दैनिक कार्यों में उसका प्रयोग करें। आज का दिन एक बार फिर यह संकल्प करने का दिन है कि हम अपने कार्यों में हिन्दी का शत-प्रतिशत प्रयोग करेंगे।

इस आयोजन में अपर मंडल रेल प्रबन्धक श्री मनोज कुमार, २ााखा  अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे। सहायक कार्मिक अधिकारी एवं राजभाषा अधिकारी श्री बबलु ने बैठक का संचालन किया। 

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